Friday, 26 May 2017

उल्लू का उपयोग / उल्‍लू के द्वारा तांत्रिक सिद्धि प्रयोग

उल्लू तंत्र टोटके

क्या कभी आपने उल्लू तंत्र टोटके का प्रयोग किया है? भारतीय समाज और सभ्यता-संस्कृति में सभी पक्षियों का विशेष महत्व और उपयोगिता है। उनसे संबंधित सदियों से चली आ रही धर्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं में रत्तीभर का भी फर्क नहीं आया है। हिंदू धर्म में तो सभी पक्षियों का संबंध किसी न किसी देवी-देवता से जुड़ा है। उन्हीं में एक पक्षी उल्लू धन, सुख और ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी का वाहन है। विज्ञान के अनुसार इस पक्षी को दिन की रोशनी में नहीं दिखाई देता है, बल्कि उसे घुप्प अंधेरे में भी सबकुछ दिखता है। इस कारण इसे निशाचर कहा गया है।

उल्लू तंत्र टोटके
उल्लू तंत्र टोटके

इसे लेकर कई मुहावरे प्रचलित हैं, जिनमें एक उल्लू सीधा करना, अर्थात मूर्ख बनाना भी है, लेकिन  लिंगपुराण के अनुसार उल्लू द्वारा निकाली गई हू हू हू संगीतिक स्वर लहरियों की वजह से उसे संगीत की शिक्षा के लिए उपयुक्त माना गया, तो वाल्मीकि रामायण में उल्लू को अत्यंत चतुर बताया गया है। एक प्रसंग में सुग्रीव भगवान श्रीराम से कहते हैं कि शत्रु की उलूक-चतुराई से बचकर रहना चाहिए। तंत्र शास्त्र के अनुसार उल्लू की विवेकशीलता और उससे मिलने वाले लाभकारी परिणाम से कतई इनकार नहीं किया जा सकता है। इसमें कई रहस्यमयी शक्तियां छिपी हैं।

ग्रीकवासी प्राचीन काल से ही उल्लू को सौभाग्य और धन का प्रतीक मानते आए हैं, जबकि पूरा यूरोप उल्लू को काले जादू के एक प्रमुख अंग के रूप मं जानता है। चीनी फेंगशुई में उल्लू अगर सौभाग्य और सुरक्षा का पर्याय माना गया है तो जापनियों की निगाह में उल्लू उन्हें कठिनाइयों से बचाता है। अपने देश में तो उल्लूक तंत्र बहुत अधिक प्रचलन में है। इसमें कई छिपी हुई तांत्रिक शक्तियां हैं, जो चमत्कारी और अचूक प्रभाव देता है। यह माना जाता है कि उल्लू के हावभाव, बोली और उड़ान भरने की स्थिति से भूत, भविष्य और वर्तमान की घटनाओं का पता लगाया जा सकता है। उसकी अगर सुनने की शक्ति काफी तेज होती है तो अपनी गर्दन को पीछे की ओर घुमा सकता है।

ज्योतिष विज्ञान के अनुसार उल्लू की सवारी करने वाली मां लक्ष्मी शुक्रग्रह की अधिष्ठात्री देवी हैं, जबकि उल्लू राहू के घर का प्रतिनिधित्व करता है तथा कुंडली में इसका सुनिश्चित घर छठा स्थान का है। हालांकि इसका तीसरे, छठे ओर आठवें घर में होना शुभ माना गया है। इसभाव से उल्लू की महत्ता व्यक्ति के जीवन में बनी रहती है, जिसे भविष्य सूचक के नजरिए से देखा जाता है।

विभिन्न मान्यताओं के अनुसार उल्लू के दर्शन मात्र से सुखद परिणाम की उम्मीद प्रबल हो जाती है, तो तांत्रिक सिद्धियां से विशेष लाभ हासिल किए जा सकते हैं। तांत्रिकों का मानना है कि उल्लू की बली देने से कई विशिष्टएं हासिल की जा सकती हैं, जिसका प्रयोग समस्याओं के समाधान के लिए किया जा सकता है। उल्लू के द्वारा किए गए वशीकरण, उच्चाटन और धनप्राप्ति के प्रयोग काफी फलदायी होते हैं। इसके तांत्रिक उपायों के बारे मं जानने से पहले कुछ मान्यताओं पर एक नजर डालते हैं।

सूर्योदय से ठीक पहले पूर्व दिशा में वृक्ष पर बैठे उल्लू को बोलते हुए देखना धनागमन का संकेत देता है। बोलता हुआ उल्लू यदि पश्चिम दिशा की ओर बैठा हो, तो धन का नुकसान हो सकता है।
यदि वृक्ष पर बैठा उल्लू प्रातःकाल में उत्तर दिशा में बोलता दिखे तो यह अशुभ परिणाम की आशंका का संकेत जैसा होता है, जो दुर्घटना, बीमारी या मृत्यु से संबंधित हो सकती है।
प्रातःकाल में दक्षिण दिशा में उल्लू को देखना या उसकी आवज को सुनने का अर्थ धनलाभ का संकेत होता है, या फिर शत्रु परास्त हो जाता है।
आधी रात को पूर्व दिशा से उल्लू की आने वाली आवाज कल्याणकारी होती है, जबकि पश्चिम, उत्तर या दक्षिण दिशा से आने वाली आवाज किसी परेशानी के आगमन की सूचना का होता है।
किसी रोगी के बिस्तर पर उल्लू के रात में आकर बैठ जाने का अर्थ रोगी के शीघ्र स्वस्थ हो जाने से है।
घर से बाहर निकलते समय दायीं ओर उल्लू के दिखने पर यात्रा की असफलता हो जाती, जबकि वही उल्लू कहीं जाते समय पीठ के पीछे रहे, तो यात्रा सफल होती है।
किसी मकान पर बार-बार उल्लू के आकर बैठने से अनिष्ट की आशंका बढ़ जाती है।
स्वप्न में उल्लू को पानी पीते हुए देखने पर मुकदमे में सफलता मिलती है या फिर सजायाफ्ता व्यक्ति को सजा से मुक्ति मिल सकती है।
पक्षी तंत्र के अनुसार उल्लू धन का संकेत देने वाला है। जहां भी खजाना छिपाकर रखा होता है या गाड़ा हुआ रहता है, वहां उल्लू पाए जाते हैं। तंत्र शास्त्र में उल्लू को धन का रक्षक बताया गया है।
उल्लू अगर किसी के रसोईघर में आ जाए तो घर मं अनाज और खाने-पीने की कमी नहीं रहती है।
उल्लू के तंत्रः पशु-पक्षी तंत्र में उल्लू के अंगों को तांत्रिक साधना के लिए कई तरह से उपयोग में लाया जाता है। उल्लू के नाखून, पंख, पंजे, चोंच तंत्र सिद्धि के काम आते हैं। इससे होने वाले लाभ इस प्रकार हैंः-

वशीकरण के लिए किए गए उपायों में उल्लू के पंख की राख को कस्तूरी के साथ घिसकर शरीर पर लगाने से अचूक परिणाम मिलता है। इसके अतिरिक्त यदि किसी को उल्लू की बली और सिद्धि के बाद उसका सूखा मांस खिला दिया जाए, तो वह काफी विचलित हो जाता है और उसकी शांति भंग हो जाती है।
उल्लू के रीढ़ की हड्डी को केसर, कस्तूरी और कुमकुम के साथ घिसकर बनाए गए मिश्रण का तिलक वशिकरण के लिए उपयोगी है। इसे लगाकर रूठी पत्नी को मनाया जा सकता है या प्रेमिका को वशीभूत किया जा सकता है।
उल्लू की विष्ठा पान में रखकर यदि दुश्मन को खिला दिया जाए तो वह परास्त होकर हार मान लेता है या आत्मसमर्पण कर देता है।
उल्लू और कौए की विष्ठा गुलाब जल में मिलाकर बनाए गए तिलक को माथे पर लगाकर किसी स्त्री के सामने जाने पर वह वश में आ जाती है। वह स्त्री इस कदर सम्मोहित हो जाती है अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के आतुर हो जाती है।
पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम को प्रगाढ़ बनाने के लिए यदि कोई विवाहिता दीपावली की रात उल्लू के नाखून को सिंदूर के साथ लाल कपड़े में लपेटकर वांह मं बांध लें या फिर उसे अपनी श्रृंगार के बक्से में रख ले तो पति का सम्मोहन उसके प्रति बढ़ जाता है। ऐसा करने से परिवार में मतभेद भी दूर हो जाता है तथा आर्थिक स्थिति में मजबूती आती है।
धन की प्राप्ति के लिए उल्लू की तस्वीर लगाने और उसकी दीपावली की शाम पूजा करने का शुभ परिणाम आता है। धन रखे जाने वाले स्थान या तिजोरी में उल्लू की तस्वीर रखना एक साधारण टोटका है, लेकिन इससे आर्थिक लाभ के अवसर बनते रहेते हैं।
उल्लू के पंख को अपने सामने रखकर ‘‘ओम उल्लुकाना विद्वेषय फट!!’’ का 1001 बार जाप के बाद उसे जिस घर मं फेंक दिया जाए वहां विद्वेषणा होती है। ऐसा सामान्यतः शत्रु को दूर करने के लिए किया जाता है।
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